BHDC 103 : आदिकालीन एवं मध्यकालीन हिन्दी कविता in Hindi Solved Assignment 2025-2026
Title : BHDC 103 : आदिकालीन एवं मध्यकालीन हिन्दी कविता in Hindi Solved Assignment 2025-2026
Course Title : आदिकालीन एवं मध्यकालीन हिन्दी कविता
Course Code : BHDC 103
Assignment Code : ASST/TMA/2025-2026
Maximum Marks : 100
Title : BHDC 103 : आदिकालीन एवं मध्यकालीन हिन्दी कविता in Hindi Solved Assignment 2025-26
Course : CBCS/BCOM
University : IGNOU
Service Type : Soft Copy (Solved Assignments)
Language : Hindi
Product : Solved Assignment of BHDC 103 (IGNOU)
Short Name : BHDC 103
Why Choose Ignou Scholars for Assignments?
- Expert Guidance
IGNOU Scholars often provide expert support with a deep understanding of IGNOU’s syllabus and assignment format. Accurate Solutions
Their assignments are usually well-researched, accurate, and aligned with the university’s requirements.Time-Saving
Preparing assignments from scratch can be time-consuming. Ignou Scholars help save time by offering ready-to-use or well-structured drafts.Customized Work
Many IGNOU Scholars offer personalized assignments based on your course, subject, and preferences.High-Quality Content
Assignments provided are generally plagiarism-free, well-organized, and written in simple yet effective language.
नोट: सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। दस अंक के प्रश्नों का उत्तर लगभग आठ सौ शब्दों में तथा पाँच अंकों के प्रश्नों के उत्तर लगभग चार सौ शब्दों में दीजिए।
भाग-1
1. निम्नलिखित पद्याशों की ससंदर्भ व्याख्या कीजिएः
(क) गोरी सोवै सेज पर मुख पर डारे केस। चल खुसरो घर आपने रैन भई चहुँ देस ॥ [[सरो रैन सोहाग की, जागी पी के संग। तन मेरो मन पिऊ को दोऊ भए एक रंग ॥
(ख) हम न मरें मरिहै संसारा। हमको मिला जिआबनहारा ।। साकत मरहिं संत जन जीवहिं, भरि भरि राम रसाइन पीवहिं। हरि मरहिं तो हमहूँ मरिहैं, हरि न मरे हम काहे कौ मरिहैं। कहै कबीर मन मनहिं मिलावा अमर भया सुखसागर पावां ।।
(ग) अंखियां हरि-दरसन की प्यासी। देख्यौ चाहत कमलनैन कौ, निसि दिन रहति उदासी ।। आए ऊधौ फिरि गए आंगन, डारि गए फांसी। केसरि तिलक मोतिन की माला, वृन्दावन के बासी ।। काहू के मन को कोउ न जानत, लोगन के मन हांसी। सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कौ करवत लैहौं कासी ।।
(घ) खेती न किसान को, भिखारी को न भीख, बलि, बनक को बनिज, न चाकर को चाकरी। जविका विहीन लोग सीदमान सोच बस, कहैं एक एकन सों, ‘कहाँ जाई, का करी? बेदहूँ पुरान कही, लोकहूँ बिलोकिअत, साँ सबै पै, राम! रावर कृपा करी। दारिद-दसानन दबाई दुनी, दीनबंधु ! दुरित-दहन देखि तुलसी हहा करी ।।
भाग-2
2. तुलसीदास की भक्ति में प्रेम के महत्व की विवेचना कीजिए।
3. रहीम लोक जीवन के पारखी थे।’ इस कथन की समीक्षा कीजिए।
4. निम्नलिखित विषयों पर टिप्पणी लिखिए :
क. मीराबाई की भक्ति भावना
ख. सतसई परम्परा और बिहारी सतसई
भाग-3
5. रसखान की भक्ति भावना की विशिष्टताओं का सोदाहरण उल्लेख कीजिए।
6. सूर के काव्य न ब्रज का लोकजीवन किन रुपों में आया है? सोदाहरण उल्लेख कीजिए।
7. निम्नलिखित विषयों पर टिप्पणी लिखिएः
क) जायसी की भाषा और काव्य सौंदर्य
(ख) विद्यापति का काव्य सौंदर्य